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May 4, 2020

आज यूँ ही

आज यूँ ही बैठे बैठे याद उनकी चली आयी है।
फिर मुसकुराहट वो प्यारी लौटी है,
फिर आँख मेरी भर आयी है।
यूँ तो नज़र में रहता है उनका चेहरा हर पहर,
बात भी दिल में होती है उनसे शाम सहर।
मग़र आज शायद बात कुछ ख़ास हो आयी है,
ज़िक्र उनका कुछ ख़ास हुआ है दिल की गहराई में
जो आज यूँ ही बैठे बैठे याद उनकी चली आयी है।
फिर मुसकुराहट वो प्यारी लौटी है,
फिर आँख मेरी भर आयी है।
आँख मेरी भर आयी है।।

February 14, 2020

ये अधूरा सा जहाँ

तुमसे बिछड़े हम जो कल, मिल सकें फिर कहाँ।

साथ बीते थे जो पल, अब नहीं, पर कशिश उनकी बाक़ी है।
साथ बीते थे जो, कुछ पल, चाह उनकी अब भी बाक़ी है।
महक साथ बीते हुए हर पल की, हर तरफ़ बाक़ी है।

पर हो नहीं जो इसमें तुम, है अधूरा बहुत ये जहाँ!
तुमसे बिछड़े हम जो कल, मिल सकें फिर कहाँ।

परे हमसे बहुत हो तुम, है अधूरा बहुत ये जहाँ!

November 27, 2014

बेवफ़ा उसे न कहो


ये और बात है, के लगता आज बेपरवाह  है वो,
के हवा दी थी उसी ने, इन मुहब्बत के जज़्बों को।

आज उसके किये वादे की कीमत कुछ नहीं है तो,
दिलबर था वो मेरा, अब बुरा उसे न कहो।

के याद मुझे करके, रोता है तन्हाई में वो,
यकीन नहीं है ग़र, तो चलो फ़र्ज़ ही कर लो।

के अपनी किन्हीं मजबूरियों का क़ैदी है वो,
साथ छोड़ गया है मेरा, तो बेवफ़ा उसे न कहो।

बहुत मुश्किल है मिटाना दाग़, दिल हो या दमन हो,
न दाग़ बेवफाई का, दो उसके दमन को।

November 12, 2014

जो छू कर गुज़रती है मुझे


जो छू कर गुज़रती है मुझे, हवा,
आँचल तेरा भी छू जाती तो होगी।
के याद करता है तुझे हर घड़ी कोई,
कानों में तेरे कह जाती तो होगी।

सिहर उठता हूँ बारिश की जिन चंद बूँदों से मैं,
तेरे दामन में भी मोती यादों  के भर जाती तो होंगी।
जो तड़प के बरस उठती हैं आँगन में मेरे, घटा,
आँगन तेरा भी अश्को से भिगो जाती तो होंगी।

काँप उठती है जिनके छूने से कायनाथ मेरी,
होठों को तेरे भी यादें वो थरथराती तो होंगी।
जो सिसकती, मचलती हैं मेरे आसमाँ में बिजलियाँ,
रोशन तेरे घर को कहीं कर जाती तो होंगी।

जो जलाती, है चिराग निगाहों में उम्मीद के मेरी, चांदनी,
तेरे दिल को भी सुकूँ दे जाती तो होगी।
जिनसे रौशन है हर घड़ी दुनिया मेरी, यादें ,
चिराग दिल में तेरे भी जला जाती तो होंगी।

September 20, 2014

दाग़ दिल पे लिया है मैंने


ग़म तेरे न आने के मिला, तो;
शिक़वा तुझसे नहीं ज़िन्दगी से किया मैंने।
दिलो-दायर और के हुए तेरे;
ये भी ख़ामोश खड़े सहा है मैंने।

के तू रुस्वा न हो ज़माने में आह से भी मेरी;
यूं दर्द बेवफ़ाई का तेरी जज़्ब किया है मैंने।
अश्क़ आँख से न एक भी गिरने पाए;
रस्म-ए-उल्फ़त को इस तरह जिया है मैंने।

न  हैराँ उसके जाने से, न परेशाँ तू;
दिल पे फ़ौलाद तेरे रख दिया है मैंने।
के पाक रूहो-कफ़न रहे तेरा, शीन;
दाग़ दामन पे नहीं दिल पे लिया है मैंने।

September 15, 2014

भरोसा कर लिया मैंने...


चला कुछ सिलसिला ऐसा, उन बिछड़ों को पाने का,
भरोसा कर लिया मैंने तुम्हारे लौट आने का।
आये चार दिन को तुम, बहाना था मनाने का,
तुम्हें हक़ दे दिया मैंने, मेरा फिर दिल दुखाने का।

देकर वास्ता मुझको उन रूठे ज़मानों का,
पता फिर ले लिया मुझसे मेरे दिल के ठिकानों का।
भरोसा फिर किया मैंने, न देखा थे वही, तुम तो,
मौका फिर दिया तुमने तो खुद को आज़माने का।

शुरू फिर सिलसिला है अब, नयी यादें भूलाने का,
तुम्हें न याद करने को, भुलाना उन फ़सानों का
कहा माना नहीं मैंने, कहा दिल ने, "संभल जा" तो,
सज़ा ख़ुदको है दी मैंने, तुम्हें बस नाम बहाने का।

भरोसा फिर किया मैंने, न देखा थे वही, तुम तो,
मौका फिर दिया तुमने तो खुद को आज़माने का।
टूटा दिल मेरा फिर से, भरोसा भी मेरा ही तो;
कुसूर इसमें तुम्हारा क्या, मैं मारा हूँ ज़माने का।

September 14, 2014

रोक ले आज...

रोक ले अश्क़ मेरे, के न
बाह जाए साथ इनके, आँखों से मेरी।
रोक ले आज इन्हें, के
रह पाये उम्रभर निगाहों में मेरी।
थाम दामन में इन्हें, के
है इनमें ही तू।

रह पायेगा उम्रभर डूबकर इनमें,
होगी ग़र इन आँखों में वही झील सी नमी।
थाम ले आज इन्हें, के
न बह जायें अश्क़ आँखों से सभी।
रोक ले आज इन्हें, के
रह पाये निगाहों में मेरी तू ।

लौटता नहीं बह जाए सैलाबों में जो,
लौट भी आयें ग़र सैलाब वही।
रोक ले आज…
थाम बढ़के इन्हें, के
चल निकला है साथ इन सैलाबों के ही तू।    

August 31, 2014

क्या होगा जो...

लगता तेरा कारवाँ कुछ उठता हुआ सा है, मुझको।
तुझको है इंकार मग़र...
तुझसे बढ़कर शायद, अब मैं जान गया हूँ तुझको।

नदी, हवाएं, पँछी  और बादल, कब रोके से रुकते हैं
सैलानी तुझ से ये सारे, भोर भए चल उठते हैं;


न आह कोई, और न कोई आँसू रोक तुझे अब पायेगा।
बस इतना वादा देते जाना, न लौट इधर फिर आएगा।

न आँसू मेरे, और न ये बाहें, बस अब बढ़कर रोकेंगे तुझको;
लगता तेरा कारवाँ कुछ उठता हुआ सा है, मुझको।

क्या होगा जो फिर एक बार चला तू जाएगा;
कुछ यादें नई नई सी, कुछ कविताएँ दे जाएगा।

August 23, 2014

ख्वाब था शायद, ख्वाब ही होगा

यादोँ के उस मौसम से,
कोई आया, मेरे पास में बैठा।
एक पुराना गीत वो लाया, और वही पुरवाई भी,
नज़र को थामे नज़रो से उसने, बीती बातें दोहराईं भी।

साँझ की बेला, और हम दोनोँ,
और मन में वही शहनाई सी।
मेरी बात सुनी भी उसने, अपनी बात सुनाई भी।
यादोँ के उस मौसम से,
कोई आया,मेरे पास में बैठा! 

आज पुराना यादोँ का मौसम, बरसा, मैं मुस्काई भी।
आँख झपकते मैनें पाया फिर वही तनहाई  थी!
ख़ाली था घर का हर कोना, और
वही ग़म की घटा सी छाई थी। 
वक्त  के शीशे से गर्द सी उड़कर 
याद चली कोई आयी थी!

ख्वाब था शायद, ख्वाब ही होगा
यादोँ के उस मौसम से,
कोई आया, मेरे पास में बैठा।

एक ज़माना था कुछ ऐसा दिल में बजी शहनाई थी
यादोँ के उस मौसम में ,
कोई आया था, मेरे पास था बैठा
नज़र को थामे नज़रो से उसने, दिल की बात सुनाई थी
नज़र को थामे नज़रो से उसने, दिल को राह दिखाई थी।

ख्वाब था शायद, ख्वाब ही होगा
यादोँ के उस मौसम से,
कोई आया, मेरे पास में बैठा।


April 7, 2012

ये घटा नहीं बरस पाएगी...


आज फिर, लगता है, ये घटा नहीं बरस पाएगी...
आज फिर ये हवा साथ इसको ले जायेगी!
रोज़ ही, कुछ दिन से यूँ घटा छाती है,
रोज़ ही मगर, बिना बरसे चली जाती है.
रोज़ ही दिल में एक उम्मीद सी होते ही जवाँ,
मन मसोस, खड़ी देखती रह जाती है.
कि जो छाती है घटा उम्मीद के निशाँ लेकर,
वो कहीं और जाकर बरस जाती है!
 

aaj phir, lagta hai, ye ghata nahin baras paayegi...
aaj phir ye havaa saath isko lejaayegi!
roz hi, kuchh din se yuun ghataa chaatii hai,
roz hii magar, binaa barse chalii jaatii hai.
roz hii dil mein ek ummiid sii hote hii javaa.n,
mann masos, khadii dekhtii rah jaatii hai.
ki jo chaatii hai ghataa ummiid ke nishaa.n lekar,
vo kahii.n aur jaakar baras jaatii hai!

February 10, 2012

भोर अब हो ही गयी

थे अँधेरे घने, जलाए मैंने चिराग बहुत
थे अँधेरे घने,  जलाए रखे चिराग मैंने अब तक
अब तो सो रहूँ, जागा हूँ रात भर का मैं
अब तो सो लूं के भोर अब होने लगी
सो रहूँ अब, के भोर अब होने लगी
बस, सो रहूँ अब, के भोर अब हो ही गयी.

आ लगा ले गले

आ लगा ले गले,
के थक गया हूँ बहुत, चलते चलते.
दूर ठिकाना, और धूप भी बड़ी घनी,
ढूंढा बहुत न मिली छाँव ज़रा भी कहीं.

आ लगा ले गले, 
के थक गया हूँ बहुत, चलते चलते.
ढूंढा बहुत न मिली मगर मंजिल मेरी.
ढूंढा बहुत न मिली मगर जो थी ज़िन्दगी.

आ लगा ले गले, 
के थक गया हूँ बहुत, चलते चलते.
आ लगा ले गले,
के तेरे आँचल में सो रहूँ चुपके से मैं भी.

January 27, 2012

फिर मिलेंगे कभी...

'फिर मिलेंगे कभी' तू ने कह भी दिया
और पलट के कभी याद भी न किया

बड़ी देर मैं, ताकता उस तरफ,
रास्ता, खड़ा तेरा देखा किया
संग चली तो मग़र, चली दो कदम
बीच राह छोड़ मुझसे किनारा किया

न शिकवा कभी कोई मैंने किया,
न तुझको कभी मैंने रुसवा ही किया.
चल पड़ा मैं (भी), निकल आगे बढ़ा,
राह तकता भी कब तक यूँ खड़ा ही खड़ा.

आज कहती है सब थी मेरी ख़ता,
और उसकी मुझे तू ने दी थी सज़ा.
न अर्ज़ी, न ही सुनवाई कोई,
तू तो ए ज़िन्दगी बन बैठी खुदा!

'फिर मिलेंगे कभी' था तू ने कहा,
पर पलट के कभी याद तो न किया.

January 7, 2012

जलाये जा नये दीये

"बुझ गया एक और दीया."
खड़ा क्यूँ, ये सोचता?
जलते हैं सेकड़ों अभी
है रोशन चमन अब भी तेरा.
जलेंगे और भी अभी
क्या हुआ जो वो एक बुझ गया.
जलाये जा नये दीये
न रह यूं खड़ा सोचता!
जलाये जा नये दीये,
कि रोशन रहे चमन तेरा.

क्यूँ खड़ा ये सोचता कि,
"एक और दीया बुझ गया."
क्या पहले कई बुझे नहीं?
क्या रोशन नहीं चमन तेरा?
वो रोशन क्या खास कर सके,
झोंखे से एक, जो बुझ चला!
जलाये जा नये दीये
कि रोशन रहे चमन तेरा.

न रह खड़ा ये सोचता कि,
"दीया एक और बुझ गया"
कह दे अलविदा उसे,
जो साथ तेरे न चल सका!
कह दे अलविदा उसे,
जो राह में ही बुझ चला!
जलाये जा नये दीये,
कि रोशन रहे चमन तेरा.

"bujh gayA ek aur dIyA."
khadA kyU.n ye sochta?
jalte hai.n sekdo.n abhi,
hai roshan chaman ab bhi terA.
jale.nge aur bhI abhI,
kya hua jo vo ek bujh gayA.
jalAye ja naye dIye,
na rah yU.n khadA sochtA!
jalAye ja naye dIye,
ki roshan rahe chaman terA.

kyU.n khadA ye sochta ki,
"ek aur dIyA bujh gaya"
kyA pahle kaI bujhe nahi.n?
kyA roshan nahi.n chaman terA?
vo roshan kyA khAs kar sake,
jho.nkhe se ek, jo bujh chalA!
jalAye ja naye dIye,
ki roshan rahe chaman terA.

na rah khadA ye sochtA ki,
"dIyA ek aur bujh gayA."
kah de alvidA use,
jo sAth tere na chal sakA!
kah de alvidA use,
jo rAh mei.n hI bujh chalA!
jalAye ja naye dIye,
ki roshan rahe chaman terA.

November 13, 2011

जाने कब, कहाँ

जाने कब, कहाँ छोड़ आये हम उसको
या,
कौन जाने वो कब, कहाँ छोड़ आगे बढ़ गयी हमें,
ज़िन्दगी साथ ही तो चल रही थी हमारे,
जब नज़र मिली थी उससे.

सपने भी वो सारे ले गयी शायद...
बेज़ार, वीरान थीं जब मिलीं थीं हमें
 कल, आईने में दो बेचारी आँखें!

 jaane kab, kahaan chhod aaye hum usko
ya,
kaun jaane vo kab, kahaan chhod aage badh gayii humei.n,
zindagi saath hiii toh chal rahi thi hamare,
jab nazar milii thii usase.

sapne bhi vo saare le gayii shaayad...
bezaar, viiraan thi.n jab mili.n thi.n humei.n
kal, aaiine mei.n do bechaari aankhe.n!

June 11, 2011

इस पल में...

इस पल में जी ले तमाम उम्र अपनी,
कल का दिन जाने क्या साथ लायेगा .

इस पल में कर ले हर तमन्ना पूरी अपनी,
कल न जाने किस शक्ल में आयेगा.

"isa pal mein jii le tamaam umra apni,
kal kaa din jaane kya saath laayega.

isa pal mein kar le har tamanna poori apni,
kal na jaane kis shakl mein aayega."

May 26, 2011

ये चाँद

सो जाऊं ज़रा मैं आँखें मूंद ,
ये चाँद जो यूं ताका न किये.

कह दे ज़रा कोई इससे,
खिड़की से मेरी झांका न किये.

December 27, 2010

याद आ गया आज यूं ही अचानक...

हर स्टेशन पे उतरकर यूँ ही खड़े होना,
गर्मी में जा जा वो मुँह धोना.
वो ऊंघना दिन भर, बस और सोना,
वो नापना क़दमों से ट्रेन का हर कोना!
वो चाय का आना, वो बच्चों का रोना,
याद आ गया सब आज यूँ ही अचानक...
वो दरवाज़े पे ट्रेन के घंटों खड़े होना!

वो खाने की खुशबुएँ जो थी उड़ती
तो खाने को घर के कुछ और तरसना!
वो गोलाई में जब ट्रेन थी मुड़ती
उसे देख बच्चों का वो शोर करना
वो दूर शहरों की बत्तियाँ चमकती,
और सुनसान जंगलों से भी निकलना.
याद आ गया सब आज यूँ ही अचानक...
वो ताली बजाते हिजड़ों का गुज़रना!

June 8, 2010

वो  कदम

उस ओर से उठे, नज़दीक आये और ठहरे दो पल,
फिर चल दिए, बढ़ गए आगे, नयी दिशा में 
खो गए दुनिया की रंगीनियों में वो दो कदम
और इस रास्ते पे खड़ा बस देखता ही रहा मैं.


बढ़  जाउंगा मैं भी एक दिन,
कब तक ठहरा (देखता) रहूंगा यूँ 
खो रहूँगा भीड़ में दुनिया की, मैं भी,
मील का पत्थर आखिर मैं नहीं.


started from that side, came closer, and stayed for two moments,
then started again, moved ahead/on in a new direction
were/got lost (mingled) in the pleasures of life, those two steps (feet)
and standing on this path I just kept seeing (seeing all this happen)

move ahead/on I too will one day

until when will I stand (looking) like this
I too will get lost in the crowds
a milestone, after all, I am not

April 30, 2010

Tanha

Dekhiye to lagta hai,
zindagi ki raaho.n mei.n,
ek bhee.d chalti hai.
sochiye to lagta hai,

bhee.d mei.n hain sab tanha.

Jitne bhi yeh rishte hai.n,
kaanch ke khilone hai.n,
pal mein toot sakte hai.n.
ek pal mein ho jaye,
kaun jaane kab tanha!

Dekhiye to lagta hai,
jaise yeh jo duniya hai,
kitni rangeen mehfil hai,
sochiye to lagta hai,

kitna gham hai duniya mei.n,
kitna zakhmi her dil hai.

Woh jo muskurate thay,
jo kisi ko khuwabon mei.n,
apne paas paate thay,
unki neend tooti hai,
aur hai.n woh ab tanha!


Dekhiye to lagta hai,
zindagi ki raahon mei.n,
ek bhee.d chalti hai.
sochiye to lagta hai,

bhee.d mei.n hai.n sab tanha!