आ लगा ले गले,
के थक गया हूँ बहुत, चलते चलते.
दूर ठिकाना, और धूप भी बड़ी घनी,
ढूंढा बहुत न मिली छाँव ज़रा भी कहीं.
आ लगा ले गले,
के थक गया हूँ बहुत, चलते चलते.
ढूंढा बहुत न मिली मगर मंजिल मेरी.
ढूंढा बहुत न मिली मगर जो थी ज़िन्दगी.
आ लगा ले गले,
के थक गया हूँ बहुत, चलते चलते.
आ लगा ले गले,
के तेरे आँचल में सो रहूँ चुपके से मैं भी.
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