तुमसे बिछड़े हम जो कल, मिल सकें फिर कहाँ।
साथ बीते थे जो पल, अब नहीं, पर कशिश उनकी बाक़ी है।
साथ बीते थे जो, कुछ पल, चाह उनकी अब भी बाक़ी है।
महक साथ बीते हुए हर पल की, हर तरफ़ बाक़ी है।
पर हो नहीं जो इसमें तुम, है अधूरा बहुत ये जहाँ!
तुमसे बिछड़े हम जो कल, मिल सकें फिर कहाँ।
परे हमसे बहुत हो तुम, है अधूरा बहुत ये जहाँ!
No comments:
Post a Comment