in-reverie
February 10, 2012
भोर अब हो ही गयी
थे अँधेरे घने, जलाए मैंने चिराग बहुत
थे अँधेरे घने, जलाए रखे चिराग मैंने अब तक
अब तो सो रहूँ, जागा हूँ रात भर का मैं
अब तो सो लूं के भोर अब होने लगी
सो रहूँ अब, के भोर अब होने लगी
बस, सो रहूँ अब, के भोर अब हो ही गयी.
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